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( प्रचंड धारा ) छत्तीसगढ़ के उभरते युवा भरथरी लोकगायक प्रांजल सिंह राजपूत ने 28 फरवरी को राजिम कुंभ मेला के संध्या सांस्कृतिक कार्यक्रम में मुख्य मंच से लोकगाथा भरथरी की प्रस्तुति दी।

भरतरी गाथा

प्रांजल लोकरागी भरथरी संस्था का संचालन करते है।उनको सांस्कृतिक प्रस्तुति का यह अवसर मिलना बड़े गौरव की बात है की राजिम कुंभ मेला जैसे बड़े आयोजन में युवा कलाकार को अवसर मिला। छत्तीसगढ़ में अभी तक भरथरी गायन में मूलतः महिलाओं का नाम ही सुनाई देता रहा है ,संभवतः प्रांजल सिंह छत्तीसगढ़ में पहले पुरुष युवा कलाकार है जो भरथरी जैसी लोकगाथा विधा को लेकर चल रहे है। इनके साथ रागी योगेश यादव का साथ भी सराहनीय है।

मयंक साहू अभनपुर

इनके साथ संगतकार कौशिक साहू (हारमोनियम), मयंक साहू (तबला), दुष्यंत निषाद (बैंजो), सत्यप्रकाश साहू(ढोलक), दीनू साहू (मंजीरा), कुलदीप (घुंघरू) ने वादक के रूप में संगीत का मनमोहक रूप दिखाया।

मयंक साहू (तबला वादक) से बातचीत

इंस्टाग्राम के माध्यम से जुड़ा लोकरागी भरथरी संस्था से

तबला वादक मयंक बताते है कि : एक दिन मुझे इंस्टाग्राम पर प्रांजल सिंह राजपूत जी का मैसेज आया की साथ मिलकर काम करना है और उन्होंने मुझे समझाया की भरथरी लोकगाथा क्या है। फिर मैंने अपने ग्राम कोपेडीह के मित्रो से बात की ओर भैया के साथ लोकगाथा भरथरी के उपर कार्य करने हेतु सहमति जताई।फिर धीरे धीरे हमने कुछ अभ्यास किया और कुछ मंचो पर प्रस्तुति दी।
फिर एक दिन पता चला की हमे 28 फरवरी को राजिम कुंभ मेला में प्रस्तुति देनी है जिसके लिए मैं बहुत ज्यादा उत्साहित था।
और अंततः हमारी टीम लोकरागी भरथरी संस्था भाटापारा ने बीते 28 फरवरी को राजिम मेला के मुख्य मंच पर प्रस्तुति के साथ दर्शक दीर्घा से वाहवाही बटोरी।
मैं संस्था के संचालक भैया प्रांजल जी को धन्यवाद देता हूं की उनके कारण हमे इस भव्य आयोजन में शामिल होने का मौका मिला।
आगे भी होने वाले प्रस्तुति के लिए हमारी तैयारी निरंतर है।