Fri. Jul 26th, 2024

रक्षाबंधन पर्व को लेकर अपनी अपनी मान्यताओ के बीच दो दिन रक्षासूत्र बांधे जाएंगे। गुरुवार को रक्षासूत्र बांधे जा रहे है तो वहीं शुक्रवार को भी रक्षाबंधन मनाए जाने का दावा किया जा रहा है। भद्रा नक्षत्र की मान्यताओं को लेकर पंडितों के भी अलग अलग मत इस बार सामने आने के कारण लोगों में लगातार संदेह उत्पन्न हो रहा है। एक ही स्थान पर रहने वाले अलग-अलग लोग अलग-अलग दिन रक्षाबंधन का पर्व मना रहे हैं।

हमारे धार्मिक कथाओं के अनुसार रक्षाबंधन के पावन पर्व को मनाने की शुरुआत माता लक्ष्मी जी ने की थी। सबसे पहले माता लक्ष्मी ने ही अपने भाई राजा बली को राखी बांधी थी।


आइए जानते है रक्षाबंधन की पौराणिक कथा

श्रीमद् भागवत पुराण और विष्णु पुराण के अनुसार जब राजा बलि ने अश्वमेध यज्ञ करवाया था तब भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर राजा बलि से तीन पग धरती दान में मांग ली थी। राजा ने तीन पग धरती देने के लिए हां बोल दिया था। राजा के हां बोलते ही भगवान विष्णु ने आकार बढ़ा कर लिया है और तीन पग में ही पूरी धरती नाप ली है और राजा बलि को रहने के लिए पाताल लोक दे दिया। तब राजा बलि ने भगवान विष्णु से एक वरदान मांगा कि भगवन मैं जब भी देखूं तो सिर्फ आपको ही देखूं। सोते जागते हर क्षण मैं आपको ही देखना चाहता हूं। भगवान ने राजा बलि को ये वरदान दे दिया और राजा के साथ पाताल लोक में ही रहने लगे।

भगवान विष्णु के राजा के साथ रहने की वजह से माता लक्ष्मी चिंतित हो गईं और नारद जी को सारी बात बताई। तब नारद जी ने माता लक्ष्मी को भगवान विष्णु को वापस लाने का उपाय बताया। नारद जी ने माता लक्ष्मी से कहा कि आप राजा बलि को अपना भाई बना लिजिए और भगवान विष्णु को मांग लिजिए। नारद जी की बात सुनकर माता लक्ष्मी राजा बलि के पास भेष बदलकर गईं और उनके पास जाते ही रोने लगीं। राजा बलि ने जब माता लक्ष्मी से रोने का कारण पूछा तो मां ने कहा कि उनका कोई भाई नहीं है इसलिए वो रो रही हैं। राजा ने मां की बात सुनकर कहा कि आज से मैं आपका भाई हूं। माता लक्ष्मी ने तब राजा बलि को राखी बांधी और उनके भगवान विष्णु को मांग लिया है। ऐसा माना जाता है कि तभी से भाई- बहन का यह पावन पर्व मनाया जाता है।