Wed. Jul 24th, 2024

(प्रचंड धारा) रायपुर… छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी महासंघ ने कल अभनपुर के खोरपा ,तामा सिवनी में श्री बघेल जी के भेट मुलाकात कार्यक्रम से कर्मचारियों एवम कर्मचारी संघों बिलकुल दूर रखा गया जिससे कर्मियों में नाराजगी है , श्री तिवारी ने बताया कि विद्यालयीन शिक्षक कर्मचारी संघ अभनपुर के पदाधिकारी हरिशंकर बांसवार गोपाल यादव,तोरण साहू, लाकेश़ साहू ,रोहित बांसवार सहित अन्य पदाधिकारी शिक्षक एल बी,एवम प्रधान पाठक संवर्ग को प्रथम नियुक्ति तिथि से पुरानी पेंशन ,सभी संवर्ग के कर्मचारियों हेतु अनिवार्य पुरानी पेंशन, विकल्प हेतु 30 मार्च तक का समय दिए जाने , स्थानान्तरित शिक्षको को वरिष्ठता जैसे मुद्दे मुख्यमंत्री के समक्ष रखना चाह रहे थे,किंतु संवाद का अवसर ही नहीं दिया गया ।

श्री तिवारी ने बताया कि प्रदेश के सभी संवर्ग के कर्मचारियों में आक्रोश एवम नाराजगी चरम पर है, 44 संघों के कर्मचारी,कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रांतीय संयोजक अनिल शुक्ला के नेतृत्व में 12 सूत्रीय मांगों को ले कर 15 फरवरी को प्रदर्शन करने जा रहे है जबकि स्वास्थ कर्मचारी संघ,लिपिक वर्गीय कर्मचारी संघ वेतन विसंगति को ले कर 15 फरवरी को प्रदर्शन करने जा रहा है ,चार वर्ष के कार्यकाल में कर्मचारियों की उपेक्षा के बाद अब भेट मुलाकात में भी कर्मचारियों को संवाद से वंचित किया जा रहा है ,जिससे केवल आंदोलन का रास्ता ही शेष रह जाता है ,महासंघ के प्रवक्ता श्री तिवारी ने 12 सूत्रीय मांगों का जिक्र करते हुए बताया कि प्रदेश के पौने पांच लाख कर्मचारियों , सवा लाख पेंशनरो को डी ए के शेष किश्त ,पूर्व के डी ए का एरियर्स, सहित गृह भाड़ा भत्ता का पुनरीक्षण किया जाना चाहिए, अवकाश नगदीकरण 300 दिन का हो ,समयमान वेतनमान, चार स्तरीय क्रमोन्नत वेतन मान, पदोन्नति ,वेतन विसंगति आदि मुख्य मांग है ।

संजय तिवारी
(प्रांतीय प्रवक्ता)
छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी महासंघ

श्री तिवारी ने 15 फरवरी के ध्यानाकर्षण रैली के संदर्भ में स्पष्ट किया कि जन घोषणा पत्र 2018 में कर्मचारियों से किए गए वादों को 2023 के बजट में शामिल कर विधान सभा में ही घोषणा की जानी चाहिए , चूंकि राज्य सरकार का यह अंतिम बजट है अतः कर्मचारियों की अपेक्षा भी बहुत ज्यादा है ,उन्होंने अब तक के सभी बजट में कर्मचारियों की उपेक्षा का भी आरोप लगाया है , श्री तिवारी ने कहा कि भेट मुलाकात में यदि कर्मचारियों को भी सुना जाता तो शायद आंदोलन से बचा जा सकता था।